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Que : 25. अगर हममें वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता? बातचीत शीर्षक निबंध के आधार पर उत्तर दें।Answer:
मनुष्य को वाक्शक्ति (बोलने की क्षमता) ईश्वर से वरदान के रूप में प्राप्त है। यदि मनुष्य को ईश्वर से वरदान के रूप में यह शक्ति प्राप्त नहीं हुई होती, तो वह गूँगा होता और अपने सुख-दुख के अनुभवों को अभिव्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ होता। ऐसी स्थिति में वह कितना दयनीय होता, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वाक्शक्ति के अंतर्गत वक्तृता (स्पीच) और बातचीत – दोनों सम्मिलित हैं। पर बातचीत का ढंग स्पीच (वक्तृता) से अलग और निराला होता है। बातचीत में नाज-नखरा (हाव-भाव, मोहक चेष्टा) व्यक्त करने का अवसर नहीं होता, पर वक्तृता (स्पीच) में हाव-भाव और मोहक चेष्टा के लिए काफी अवसर होता है।
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Que : 25. अगर हममें वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता? बातचीत शीर्षक निबंध के आधार पर उत्तर दें। |
Answer: मनुष्य को वाक्शक्ति (बोलने की क्षमता) ईश्वर से वरदान के रूप में प्राप्त है। यदि मनुष्य को ईश्वर से वरदान के रूप में यह शक्ति प्राप्त नहीं हुई होती, तो वह गूँगा होता और अपने सुख-दुख के अनुभवों को अभिव्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ होता। ऐसी स्थिति में वह कितना दयनीय होता, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वाक्शक्ति के अंतर्गत वक्तृता (स्पीच) और बातचीत – दोनों सम्मिलित हैं। पर बातचीत का ढंग स्पीच (वक्तृता) से अलग और निराला होता है। बातचीत में नाज-नखरा (हाव-भाव, मोहक चेष्टा) व्यक्त करने का अवसर नहीं होता, पर वक्तृता (स्पीच) में हाव-भाव और मोहक चेष्टा के लिए काफी अवसर होता है। |
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